श्रावण मास की फुहारों के बीच, जब धरती हरी चादर ओढ़ती है और वातावरण में भक्ति की महक घुल जाती है — तब आता है हरियाली तीज का पावन पर्व। यह नारी शक्ति, प्रकृति प्रेम और पारंपरिक भक्ति का संगम है। हरियाली तीज केवल एक व्रत नहीं, बल्कि उस संकल्प और श्रद्धा की कहानी है, जिसने शिव को भी तपस्या से प्रसन्न किया।
हरियाली तीज 2025 की तिथि और शुभ समय
वर्ष 2025 में हरियाली तीज 27 जुलाई, रविवार को मनाई जाएगी। तृतीया तिथि का प्रारंभ 26 जुलाई रात 10:41 बजे से होगा और समाप्ति 27 जुलाई रात 10:41 बजे पर होगी। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:17 से 4:58 बजे तक रहेगा और अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:00 से 12:55 तक।
विशेष बात यह है कि इस बार हरियाली तीज पर रवि योग का भी संयोग बन रहा है, जो इस व्रत को और भी प्रभावशाली बनाता है।
हरियाली तीज क्यों मनाया जाता है?
हरियाली तीज का सीधा संबंध माता पार्वती और भगवान शिव के मिलन से जुड़ा हुआ है। यह व्रत सुहागिन स्त्रियाँ अखंड सौभाग्य की कामना से करती हैं, वहीं कन्याएँ उत्तम वर की प्राप्ति हेतु इस दिन व्रत रखती हैं। इस पर्व का एक और पक्ष है — प्रकृति से प्रेम और हरियाली का सम्मान।
हरियाली तीज की पूजा विधि
इस दिन महिलाएँ प्रातः स्नान कर हरे रंग के वस्त्र धारण करती हैं और 16 श्रृंगार करती हैं। पूजा स्थान पर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की जाती है। बेलपत्र, धूप-दीप, भोग, और सुहाग सामग्री अर्पित कर कथा सुनी जाती है।
झूला झुलाना, मेंहदी लगाना और वृक्षारोपण करना इस पर्व की विशेष परंपराएँ हैं। मायके से आई बेटियों को झूला झुलाया जाता है और उन्हें उपहार दिए जाते हैं।
हरियाली तीज की पौराणिक कथा
माता पार्वती का बचपन से ही भगवान शिव को पति रूप में पाने का संकल्प था। उन्होंने गंगा तट पर 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की — कभी अन्न नहीं खाया, कभी सूखे पत्ते चबाकर जीवन बिताया। गर्मियों में पंचाग्नि के बीच बैठीं, वर्षा में खुले आकाश के नीचे रहीं, बिना किसी शिकायत के — केवल अपने अराध्य के प्रेम में लीन होकर।
इधर नारद मुनि राजा हिमालय से मिलकर विष्णु जी से विवाह का प्रस्ताव लाए। पिता ने प्रसन्न होकर प्रस्ताव स्वीकार कर लिया, पर जब पार्वती को यह ज्ञात हुआ, तो वे अत्यंत दुखी हुईं। उन्होंने सबकुछ छोड़ वन का मार्ग लिया और वहाँ रेत से शिवलिंग बनाकर एकाग्रता से पूजा करने लगीं।
उनकी घोर तपस्या से शिवजी की समाधि टूट गई। वे पार्वती के समक्ष प्रकट हुए और कहा — “तुमने केवल तप से ही नहीं, प्रेम से भी मुझे जीत लिया।” और उन्होंने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया।
यह दिन था श्रावण शुक्ल तृतीया — और तभी से इस दिन को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाने लगा।
हरियाली तीज न केवल देवी-देवताओं से जुड़ा पर्व है, बल्कि यह प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का भी अवसर है। इस दिन वृक्षारोपण करने की परंपरा है। सावन की हरियाली, झूले, लोकगीत और स्त्रियों का उल्लास इस पर्व को जीवंत बना देते हैं।
हरियाली तीज 2025 – एक नजर में (Quick Recap)
- तिथि: 27 जुलाई 2025, रविवार
- व्रत करने वाली: सुहागिन स्त्रियाँ और कुंवारी कन्याएं
- मुख्य उद्देश्य: अखंड सौभाग्य, उत्तम वर की प्राप्ति, और शिव-पार्वती की कृपा
- परंपराएँ: हरे वस्त्र, 16 श्रृंगार, झूला, व्रत कथा, पूजा
- महत्व: प्रेम, तपस्या, प्रकृति से जुड़ाव
हरियाली तीज केवल एक व्रत नहीं — यह नारी शक्ति का उत्सव, प्रकृति से जुड़ाव, और आस्था की पराकाष्ठा है। इस दिन पार्वती के समान श्रद्धा, प्रेम और तप से किए गए व्रत का फल निश्चित रूप से मिलता है।
यदि आपने आज इस पर्व की गहराई को महसूस किया, तो अगली हरियाली तीज सिर्फ रस्म नहीं — एक अनुभव बन जाएगी।